रविवार, दिसंबर 23, 2012

पूछते हैं लोग क्यों नाशाद मेरे गीत हैं

पूछते हैं लोग क्यों नाशाद मेरे गीत हैं 
हसरत-ए-नाकाम की फरयाद मेरे गीत हैं

मैं तो लिखता हूँ के ग़मगीं दिल बहल जाए ज़रा
फिर रुलाते हैं मुझे, जल्लाद मेरे गीत हैं

फलसफा कोई नहीं, ना धर्म की बारीकियाँ
सिर्फ़ तेरी रहमतों की याद मेरे गीत हैं

आप के होटोंने दोनो को दीवाना कर दिया
एक मैं हूँ, और मेरे बाद मेरे गीत हैं

सीख इज़हार-ए-मुहब्बत की उन्हीं से पायी है
मैं तो भोला था मगर उस्ताद मेरे गीत हैं

यूँ तो ग़म को आँसुओंसे नापने की रीत है
पर यहाँ तो रंज की तादाद मेरे गीत हैं

कौन लगता हूँ किसीका, यह मेरा तार्रुफ़ नहीं
मेरी हस्ती की असल बुनयाद मेरे गीत हैं

तू जला बेशक मेरे दीवान को, मेरे उदू
उनके दिल में आज भी आबाद मेरे गीत हैं

जब फलक मुझको पुकारे, शायरी पर देती है
मुझपर सौ पाबंदियाँ, आज़ाद मेरे गीत हैं

कम से कम, दो-चार पल कुछ ग़ौर कर लेते, 'भँवर'
कोई अफ़साना नहीं, रूदाद मेरे गीत हैं

शनिवार, दिसंबर 08, 2012

यह मौत भी क्या चीज़ है, यह सोचने की बात है

यह मौत भी क्या चीज़ है, यह सोचने की बात है
क्या खत्म हो जाता है सब, या इक नयी शुरूआत है

डोली उठाकर जिस्म की साँसें कहारों की तरह
ससुराल तक पहुँचाती हैं; कैसी अजब बारात है

या बुतपरस्ती का चलन, या बुतशिकन की भीड है
कोई जगह तो हो जहाँ हम सिर्फ़ आदमज़ात है

झाँकों गिरेबाँ में ज़रा, कोसो नहीं भगवान को
क्या पूछते हो, क्या दिया; हर साँस इक सौगात है

मायूस होकर लौटता है हर सवाली आज कल
उम्मीद हक़ की क्या करें, मिलती नहीं खैरात है

इस आसमान-ए-शायरी का तुझको अंदाज़ा नहीं
उतना ही उँचा उड, 'भँवर', जितनी तेरी औकात है

हर नये शायर से निर्लज आशना निकली

हर नये शायर से निर्लज आशना निकली
रोशनी-ए-शम्म-ए-मेहफिल बेवफ़ा निकली

कल कोई था, आज हम हैं, कल कोई होगा
प्यार समझे थे जिसे हम, वह अदा निकली

हमने भी किस को सुनाये प्यार के नग़्में
वह लगी इस्लाह करने, शायरा निकली

घर कभी था; उम्रभर को बन गया जिंदाँ
हाल-ए-दिल उनको बयाँ करना खता निकली

फिर खयालों और लब्ज़ों में रही दूरी
आज फिर हम से ग़ज़ल दामन बचा निकली