बुधवार, अगस्त 19, 2009

चूमना चाहा तुम्हें, ज़ुल्म यह संगीन है

चूमना चाहा तुम्हें, ज़ुल्म यह संगीन है
चूमनेसे गर रहा, हुस्न की तौहीन है


नेकनामी का चलन क्यों सिखाया, वाइज़ों ?
दागदारों की यहाँ ज़िंदगी रंगीन है


लो, मुकम्मल हो गयी कत्ल़ की तैयारियाँ
है भरोसा, प्यार है; साँप है, आस्तीन है


अल्विदा, ऐ रहबरों; शुक्रिया, ऐ रहगुज़र
मंज़िलों का ग़म नहीं, दौर की तस्कीन है


फूलसे अल्फ़ाज़से जब शहद लेगा ’भँवर’
सुर्ख़ होटों पर सजे, तब गज़ल शीरीन है

11 टिप्‍पणियां:

दिगम्बर नासवा ने कहा…

Khoobsoorat gazal hai ....... swagat hai aapka

डॉ.भूपेन्द्र कुमार सिंह ने कहा…

good gazal,welcome to this blog world.
Beautiful design is an extra attraction.Welcome .
Dr.bhoopendra

शशांक शुक्ला ने कहा…

बढ़िया लिखा है खुद लिखा हैतो...

Yogesh Verma Swapn ने कहा…

नेकनामी का चलन क्यों सिखाया, वाइज़ों ?
दागदारों की यहाँ ज़िंदगी रंगीन है

behatareen rachna, badhaai.

sanjay vyas ने कहा…

you seem to be a marathi maanus(what i gathered from your profile),yet,i must say,u r very good at writing urdu ghazals.keep it up please!

रवि कुमार, रावतभाटा ने कहा…

ग़ज़ल अच्छी लगी...
एक अलग अंदाज़ कई शेरों से झांकने की कोशिश कर रहा है...

shama ने कहा…

Mai rachnakar to nahee,lekin mere pahle jo jaankaar kah gaye,unse sahmat hun!

http://kavitasbyshama.blogspot.com

http://shamasansmaran.blogspot.com

http://aajtakyahantak-thelightbyalonelypath.blogspot.com

http://shama-baagwaanee.blogspot.com

Chandan Kumar Jha ने कहा…

बहुत अच्छे.


चिट्ठाजगत में आपका स्वागत है.......भविष्य के लिये ढेर सारी शुभकामनायें.

गुलमोहर का फूल

Vipin Behari Goyal ने कहा…

bahut khubsurat gazal hai

Ramdeo ने कहा…

Very Good
I like it
Keep it Up
and if u have more better then plz mail me on
drmainhudon@gmail.com

Amit K Sagar ने कहा…

बहुत अच्छा लिखा है. जारी रहिये. हर एक शेर वाह!

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♫ उल्टा तीर पर पूरे अगस्त भर आज़ादी का जश्न "एक चिट्ठी देश के नाम लिखकर" मनाइए- बस इस अगस्त तक. आपकी चिट्ठी २९ अगस्त ०९ तक हमें आपकी तस्वीर व संक्षिप्त परिचय के साथ भेज दीजिये. [उल्टा तीर] please visit: ultateer.blogspot.com/