जज़्बात बेयकीं हैं, एहसास बेयकीं हैं
इस अंजुमन में सारे आदाब बेयकीं हैं
बढ बढ के रुक रहें हैं उनके कदम के उनको
हम पर तो है भरोसा, हालात बेयकीं हैं
नाज़ुक बला के होते हैं तार दो दिलों के
कैसे जमेगी मेहफ़िल जब साज़ बेयकीं हैं?
क्या चीज़ है मुहब्बत, कोई समझ न पाया
इन्कार दिलबरी हैं, इकरार बेयकीं हैं
खून-ए-जिगर कलम में भर कर, 'भँवर', ग़ज़ल लिख
वरना यह शेर क्या हैं, अल्फाज़ बेयकीं हैं
इस अंजुमन में सारे आदाब बेयकीं हैं
बढ बढ के रुक रहें हैं उनके कदम के उनको
हम पर तो है भरोसा, हालात बेयकीं हैं
नाज़ुक बला के होते हैं तार दो दिलों के
कैसे जमेगी मेहफ़िल जब साज़ बेयकीं हैं?
क्या चीज़ है मुहब्बत, कोई समझ न पाया
इन्कार दिलबरी हैं, इकरार बेयकीं हैं
खून-ए-जिगर कलम में भर कर, 'भँवर', ग़ज़ल लिख
वरना यह शेर क्या हैं, अल्फाज़ बेयकीं हैं
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