वक़्त तेरे हुस्नपर रोया करेगा
झुर्रियों के बीज जो बोया करेगा
आइनाभी चूर थककर हो गया है
बोझ सचका कब तलक ढोया करेगा ?
आसुओंको मोतियों का नाम ना दो
कौन वरना मुफ़्तमें रोया करेगा ?
जब तलक मिटती नही हस्ती हमारी
क्या नसीबा तब तलक सोया करेगा ?
इस कदर इस प्यासने मैला किया है
उम्रभर साग़र मुझे धोया करेगा
1 टिप्पणी:
अब छ्लकते हुवे सागर नही देखे जाते
तोबा के बाद मंजर नही देखे जाते
हमने देखा है जमाने का बदलना लेकीन
उनके बदले हुवे तेवर नही देखे जाते
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