शुक्रवार, जुलाई 24, 2009

वक़्त तेरे हुस्नपर रोया करेगा

वक़्त तेरे हुस्नपर रोया करेगा
झुर्रियों के बीज जो बोया करेगा

आइनाभी चूर थककर हो गया है
बोझ सचका कब तलक ढोया करेगा ?

आसुओंको मोतियों का नाम ना दो
कौन वरना मुफ़्तमें रोया करेगा ?

जब तलक मिटती नही हस्ती हमारी
क्या नसीबा तब तलक सोया करेगा ?

इस कदर इस प्यासने मैला किया है
उम्रभर साग़र मुझे धोया करेगा

1 टिप्पणी:

HAREKRISHNAJI ने कहा…

अब छ्लकते हुवे सागर नही देखे जाते
तोबा के बाद मंजर नही देखे जाते
हमने देखा है जमाने का बदलना लेकीन
उनके बदले हुवे तेवर नही देखे जाते