आयें हैं सो कुछ दिन गुजार जाते हैं
लेकर ना जब तक के कहार जाते हैं
क्या शानोशौकत पर गुमान करते हो
दुनियासे मुफ़लिस ताजदार जाते हैं
ना रास्ता अनजाना, न राह मुष्किल है
हर दिन इस दुनियासे हजार जाते हैं
जानकरभी के याँ बार बार आना है
जानेवालें क्यों बेकरार जाते हैं ?
रंजोगम का होने शिकार जाते हैं
करने जब उनका इंतजार जाते हैं
जाने किसकी सुनकर पुकार जाते हैं
मैखाने कुछ, तो कुछ मज़ार जाते हैं
उनके दिलका कब्ज़ा मिले न गैरों को
लो, हम दफ़्तरेतहसीलदार जाते हैं
मंदिर-मस्जिद की धूल की कसम, 'भँवर'
मैखानेभी जूते उतार जाते हैं
1 टिप्पणी:
umda, diwali ki shubhkaamnayen.
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