रातभर जल रहा था परवाना
क्यों न उजलेगी मेहफ़िलेजाना ?
चँद घडियाँ हैं दिल लगाने की
उम्रभरका है दिल को समझाना
इश्क़ शामिल है क्या गुनाहोंमें ?
क्यों कफ़स़ जैसा है सनमखाना ?
आँख तो नम है इक ज़मानेसे
बात कल की है, आपने जाना
सूख जाये ना प्यासमें आँखें
ग़मसे भर देना एक पैमाना
यह न पूछों की राहमें क्या है
फूल दिलका है, रौंदकर जाना
घर गरीबोंके रोशनी कैसी ?
आगमें लिपटा हो न काशाना
तलखियाँ घूँट घूँट देती है
ज़िंदगी है अजीब मैखाना
2 टिप्पणियां:
achha hain
bahut umda.badhaai.
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