बेरुखी यह आपकी होगी गवारा कब तलक ?
हुस्न करता इश्कसे, देखें, किनारा कब तलक
हमनवा बन जाइएगा, झूमने मेहफ़िल लगे
मैं बजाऊँ साजेदिलका एकतारा कब तलक ?
दो हिमाला का पता या फिर पता दो यार का
दरबदर फिरता रहूँगा बेसाहारा कब तलक ?
छुप न पाये चाँद-तारें शाम के होते जवाँ
इस जहाँसे तुम छुपाओगी नजारा कब तलक ?
आ, 'भँवर', उनको सुनाए हालेदिल मिलकर गले
धडकने खुदकी सुनेगा दिल हमारा कब तलक ?
1 टिप्पणी:
छुप न पाये चाँद-तारें शाम के होते जवाँ
इस जहाँसे तुम छुपाओगी नजारा कब तलक ?
behatareen. milind , sabhi sher khoobsurat hain badhaai.
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