यह ज़रूरी तो नहीं के दिल मिलें
बुत मिलें या फिर हमें कातिल मिलें
म्यान की तलवार हमने इसलिए
दुष्मनी के जो न थे काबिल; मिलें
जंग का मैदान है सारा जहाँ
लोग हमको जो मिलें, बिस्मिल मिलें
अनपढों की बात क्या कीजे हुज़ूर
पंडितोमें भी कई जाहिल मिलें
घर समंदरमें बना लेंगे 'भँवर'
ग़म नहीं हमको न गर साहिल मिलें
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