आँखोंसे कुछ और बरसो, आँसुओं
इन चिरागों को बुझा दो, आँसुओं
आज तक मैं ख़्व्वाबमें मश्गूल था
आँख खुलवाओ, जगाओ, आँसुओं
अब न वह साकी; न साग़र हाथमें
प्यास अब तुमही बुझाओ, आँसुओं
छोडकर अपने-पराये चल दिये
आके तनहाई मिटाओ, आँसुओं
दिल अगर टूटे तो रोना चाहिये
रस्मे-उल्फत है, निभाओ, आँसुओं
इन चिरागों को बुझा दो, आँसुओं
आज तक मैं ख़्व्वाबमें मश्गूल था
आँख खुलवाओ, जगाओ, आँसुओं
अब न वह साकी; न साग़र हाथमें
प्यास अब तुमही बुझाओ, आँसुओं
छोडकर अपने-पराये चल दिये
आके तनहाई मिटाओ, आँसुओं
दिल अगर टूटे तो रोना चाहिये
रस्मे-उल्फत है, निभाओ, आँसुओं
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