एक पल आयी नजर घूँघट से सूरत आप की
यह हवा का खेल था या फिर इनायत आप की?
चैन छीने, नींद भी छीने मुहब्बत आप की
सोचता हूँ, क्या बला होगी अदावत आप की
कम न थे पहले ही मसलें दीन-ओ-जान-ओ-माल के
इस पे जाहिर हो गयी दुनिया पे सोहबत आप की
जंग खेली थी यह हमने हारने के वास्ते
जी, हमें मंजूर है दिल पे हुकूमत आप की
पहले सोचा, आप का दीदार सुबहोशाम हो
फिर खयाल आया कि लग जाए न आदत आप की
इक जरा झोंका हवा का छू गया क्या आप को
इस तरह सिमटी कि हो खतरे में इज़्ज़त आप की
आप के दर पे खड़े हैं हाथ फैलाए हुए
यह दुवा दे दो, "रहे जोडी सलामत आप की"
लाख दामन को बचाया, फिर भी मैला हो गया
देर से जाना, 'भँवर', खोटी है नीयत आप की
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