वही शाम होगी, वही रात होगी
वही अजनबीसी मुलाकात होगी
अभी स्वप्नभी मैं नहीं देख पाया
अभी जागनेकी पुन: बात होगी
घडी दो घडी का मिलन है जुदाई
मिलें उम्रभर तो अलग बात होगी
समझमें न आए कि पूछू, न पूछू
जनाज़ा उठेगा कि बारात होगी
अमानत समझकर न लौटाइयेगा
'भँवर' दिल दिया है तो सौगात होगी
4 टिप्पणियां:
अमानत समझकर न लौटाइयेगा
'भँवर' दिल दिया है तो सौगात होगी
bahut khoob ... har sher lajaaba..
behatareen, sabhi sher , mubarak.
समझमें न आए कि पूछू, न पूछू
जनाज़ा उठेगा कि बारात होगी
वाह....लाजवाब....!!
घडी दो घडी का मिलन है जुदाई
मिलें उम्रभर तो अलग बात होगी
वाह... क्या बात हैं...
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