कितनी आसानीसे जाँ से दिल जुदा किया
आज हमने हँसके बेटी को बिदा किया
जब तलक वह थी यहाँ, घर दैरसा लगा
वह गई, पाकीज़गीने अल्विदा किया
देवता की देन थी, फिरभी न रख सके
फर्ज़ हमने बाप होने का अदा किया
ऐ नमी, तू आँखमें बेवक़्त आ गई
अपने घर वह जा रही थी, ग़मज़दा किया
जा; 'भँवर' से दूर इक साहिल तुझे मिले
अब किसी अपने को तूने नाखुदा किया...
2 टिप्पणियां:
गहराई से लिखी गयी एक सुंदर रचना...
nice
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