फूल गालोंपर सजाये रंजमें
अश्क वह शबनम बताये रंजमें
हो सके तो बूझ उसके दर्दको
दूसरोंको जो हसाये रंजमें
जानकर अंजान बनते हैं सभी
लोग सब अपने-पराये रंजमें
घायलों को मुफ्तमें मिल जाती है
क्यों नमक बैठे-बिठाये रंजमें?
और क्या भगवानसे माँगू 'भँवर'?
आ गया वह बिनबुलाये रंजमें
अश्क वह शबनम बताये रंजमें
हो सके तो बूझ उसके दर्दको
दूसरोंको जो हसाये रंजमें
जानकर अंजान बनते हैं सभी
लोग सब अपने-पराये रंजमें
घायलों को मुफ्तमें मिल जाती है
क्यों नमक बैठे-बिठाये रंजमें?
और क्या भगवानसे माँगू 'भँवर'?
आ गया वह बिनबुलाये रंजमें
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