किसी दिन कहीं मेल होगा यकीनन
मुहब्बत नहीं सिर्फ़ धोखा यकीनन
नयी सोच दीवारसे क्या रुकेगी
मिलेगा हवा को झरोखा यकीनन
सुकून-ए-जिगर अब तलक मिल न पाया
अभी चेहरे पर है गोषा यकीनन
बहारोंमें हम सर्द आहों के मारे
किसी संगदिल का है बोसा यकीनन
खुली नींद क्यों शेषशायी तुम्हारी ?
"कन्हैया!", पुकारे यशोदा यकीनन
रदाफ़ी पुरानी, तखय्युल पुराने
है अंदाज़ लेकिन अनोखा यकीनन
लब-ए-गुल हो शीरीं, खतरनाक भी हैं
'भँवर' को शहदमें डुबोया यकीनन
शुक्रवार, अप्रैल 23, 2010
बुधवार, अप्रैल 07, 2010
सुकून-ए-जिगर को शरारा न कर ले
सुकून-ए-जिगर को शरारा न कर ले
कहीं दिल मुहब्बत गवारा न कर ले
यह माना हिजाबों में रहते हो लेकिन
हरममें ही कोई नज़ारा न कर ले
न यूँ छेडकर आग दिलमें लगाओ
यह आँधी कहीं रुख तुम्हारा न कर ले
कई साल के बाद रूठे हैं फिरसे
कहीं इश्क़ हमसे दुबारा न कर ले
किसी दिन तो, बेशक, ख़तम खेल होगा
शब-ए-वस्ल क्यों ख़त्म सारा न कर ले
'भँवर', ख़्वाब-ए-मंज़िल जुबाँपर न लाना
कहीं राह मुडकर किनारा न कर ले
कहीं दिल मुहब्बत गवारा न कर ले
यह माना हिजाबों में रहते हो लेकिन
हरममें ही कोई नज़ारा न कर ले
न यूँ छेडकर आग दिलमें लगाओ
यह आँधी कहीं रुख तुम्हारा न कर ले
कई साल के बाद रूठे हैं फिरसे
कहीं इश्क़ हमसे दुबारा न कर ले
किसी दिन तो, बेशक, ख़तम खेल होगा
शब-ए-वस्ल क्यों ख़त्म सारा न कर ले
'भँवर', ख़्वाब-ए-मंज़िल जुबाँपर न लाना
कहीं राह मुडकर किनारा न कर ले
मंगलवार, अप्रैल 06, 2010
उनको देखा, दिल मचलकर रह गया
उनको देखा, दिल मचलकर रह गया
चोट खाई, बन के पत्थर रह गया
मिट गये कितने ही ज़ख्मों के निशाँ
ज़ख्म दिल का बनकर नश्तर रह गया
क्या मिला है मुझको आँखें खोलकर ?
हर नज़ारा ख्वाब बनकर रह गया
चार आँसू क्या बहाए हुस्नने
हौसला-ए-संग ढहकर रह गया
ऐ ग़मों, अब अश्क़ ना माँगा करो
बनकर सहरा वह समंदर रह गया
देख, शायद चाँदपर इन्साँ मिले
ढूँढने याँ कौनसा घर रह गया ?
ज़िंदगी गहरी नदी सी बीचमें
पार जिसके मेरा नैहर रह गया
चोट खाई, बन के पत्थर रह गया
मिट गये कितने ही ज़ख्मों के निशाँ
ज़ख्म दिल का बनकर नश्तर रह गया
क्या मिला है मुझको आँखें खोलकर ?
हर नज़ारा ख्वाब बनकर रह गया
चार आँसू क्या बहाए हुस्नने
हौसला-ए-संग ढहकर रह गया
ऐ ग़मों, अब अश्क़ ना माँगा करो
बनकर सहरा वह समंदर रह गया
देख, शायद चाँदपर इन्साँ मिले
ढूँढने याँ कौनसा घर रह गया ?
ज़िंदगी गहरी नदी सी बीचमें
पार जिसके मेरा नैहर रह गया
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