सोमवार, अक्तूबर 04, 2010

तेरी बातें, तेरी यादें, हरदम हैं अब साथ मेरे

तेरी बातें, तेरी यादें, हरदम हैं अब साथ मेरे

बिछडे गर तुम, क्या होगा, जब मिलकर यह हालात मेरे



तेरीही फरियादें, ज़ालिम, तेराही कानून अगर

हाज़िर है गर्दन आशिक़की, देरी क्यों, जल्लाद मेरे



कितनी देरीसे आये हो कब्रिस्ताँ ले जाने को

यारों, कब के दफ़्न हुए हैं एहसासो-जज़्बात मेरे



वाइज़ने काफ़िर कह डाला, पंडितने भी ठुकराया

लगता है इन्साँ बननेके अच्छे हैं आसार मेरे


अपने रूठे, साथी छूटे, दुनिया मुँह मोडे मुझसे

तनहाईमें जी बहलाने काफ़ी हैं नग़मात मेरे

शनिवार, अक्तूबर 02, 2010

इक हँसी, फानी लहर है ज़िंदगी

इक हँसी, फानी लहर है ज़िंदगी
हुस्न की धानी चुनर है ज़िंदगी

नब्ज चलनाही अगर है ज़िंदगी
ज़िंदगीसे बेखबर है ज़िंदगी

दिन, महिने, साल जो गिनते रहें
पूछते हैं अब किधर है ज़िंदगी

क्या पता ले जाएगी यह किस तरफ
राह-भूलीसी डगर है ज़िंदगी

हम वहीं है, हम जहाँ पैदा हुए
कौन कहता है सफर है ज़िंदगी

और तोहफा पेश-ए-खिदमत क्या करूँ
मौत, ले तुझको नज़र है ज़िंदगी

बेचना पडता है खुदको उम्रभर
यूँ लगे, नीलामघर है ज़िंदगी

मौतसे दो-चार पल है जूझना
थक गया हूँ, उम्रभर है ज़िंदगी

जल्दही दीदार होगा यार का
बस, अभी इक-दो पहर है ज़िंदगी

क्या जवानी और क्या पीरी, 'भँवर'
सिर्फ़ ठोकर दर-बदर है ज़िंदगी