बुधवार, जनवरी 30, 2013

कुछ ज़ियादा माँग तो बैठा नहीं भगवान से?

कुछ ज़ियादा माँग तो बैठा नहीं भगवान से?
आदमी बनकर मिले हर आदमी इन्सान से

सुन रहा हूँ देश ने की है तरक्की इस कदर
है दिवाली के दिये भी चीन से, जापान से

ज़हमत-ए-आतंक करता है पडोसी किस लिये?
हैं लगे इस काम में अहल-ए-वतन जी जान से

वाइज़ों को सर चढाने का नतीजा देख लो
मकतलों में शोर है, है मैकदें वीरान से

या हटा दे बादलों को, या थकी लौ को बुझा
कब तलक लड़ते रहेंगे हम दिये तूफान से?

औरतें बेखौफ होकर चल नहीं पाती यहाँ
कब मिटेगा दाग यह रुखसार-ए-हिंदोस्तान से?

नौ-लखे से एक मोती को मिलाकर देख लो
शेर के जज़्बात भी कुछ कम नहीं दीवान से