शनिवार, दिसंबर 08, 2012

हर नये शायर से निर्लज आशना निकली

हर नये शायर से निर्लज आशना निकली
रोशनी-ए-शम्म-ए-मेहफिल बेवफ़ा निकली

कल कोई था, आज हम हैं, कल कोई होगा
प्यार समझे थे जिसे हम, वह अदा निकली

हमने भी किस को सुनाये प्यार के नग़्में
वह लगी इस्लाह करने, शायरा निकली

घर कभी था; उम्रभर को बन गया जिंदाँ
हाल-ए-दिल उनको बयाँ करना खता निकली

फिर खयालों और लब्ज़ों में रही दूरी
आज फिर हम से ग़ज़ल दामन बचा निकली 

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