सोमवार, जुलाई 01, 2013

सीने से जो ना लगाए ज़ख्म मेरे

सीने से जो ना लगाए ज़ख्म मेरे
क्यों वफ़ा उनसे निभाए ज़ख्म मेरे

यह न समझो बेसबब हसती है ज़ालिम
गाहे गाहे याद आए ज़ख्म मेरे

बारहा मरहम लगाए, फिर कुरेदे
बारहा वह आजमाए ज़ख्म मेरे

एक मंडी, बेचनेवालों करोडों
खूब मैंने भी सजाए ज़ख्म मेरे

जल्द आओ, दाम उतरे हैं नमक के
ग़मगुसारों, भर न जाए ज़ख्म मेरे

बेनियाज़ी, बददिमागी, बदशिआरी
पैरहन क्या क्या चढाए ज़ख्म मेरे

मुझको तनहाई का कोई डर नहीं है
दिलमें हैं मेहफिल जमाए ज़ख्म मेरे

हैसियत मेरी, 'भँवर', कुछ कम नहीं है
गर महल उनके, सरा-ए-ज़ख्म मेरे

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