शुक्रवार, मार्च 19, 2010

इसे काट देना ही बेहतर रहेगा

इसे काट देना ही बेहतर रहेगा

यह रिश्तों का धागा उलझकर रहेगा



जवाँ हो गयी है मेरे दिल कि कष्टी


ग़मों का कहीं तो समंदर रहेगा



चली बदहवा, नींद शोलों की टूटी


घरोंदा हमारा झुलसकर रहेगा



सितारें जहाँ टूटकर गिर चुके हैं


उन्हीमें कहीं अपना रहबर रहेगा



बिगडता है अक्सर ज़रा बनते बनते


यह शायद हमारा मुकद्दर रहेगा



कभी जाम छलके, कभी अश्क छलके


जिसे मस्त जीना है, पीकर रहेगा



न सीनेमें तूफाँ दबाओ, 'भँवर', तुम


वह जीतेजी दिलको डुबोकर रहेगा

2 टिप्‍पणियां:

Udan Tashtari ने कहा…

कभी जाम छलके, कभी अश्क छलके
जिसे मस्त जीना है, पीकर रहेगा

-बहुत खूब!

Yogesh Verma Swapn ने कहा…

इसे काट देना ही बेहतर रहेगा

यह रिश्तों का धागा उलझकर रहेगा

bahut sunder.