शनिवार, अक्तूबर 22, 2011

फूल गालोंपर सजाये रंजमें

फूल गालोंपर सजाये रंजमें
अश्क वह शबनम बताये रंजमें

हो सके तो बूझ उसके दर्दको
दूसरोंको जो हसाये रंजमें

जानकर अंजान बनते हैं सभी
लोग सब अपने-पराये रंजमें

घायलों को मुफ्तमें मिल जाती है
क्यों नमक बैठे-बिठाये रंजमें?

और क्या भगवानसे माँगू 'भँवर'?
आ गया वह बिनबुलाये रंजमें

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