शुक्रवार, दिसंबर 23, 2011

माँग कर लायी नहीं जाती

माँग कर लायी नहीं जाती
सादगी सीखी नहीं जाती

जो समझते हैं, समझते हैं
बात समझायी नहीं जाती

उस बहाने तो चले आते
काश, बीमारी नहीं जाती

उसने दिल पैरों तले रोंधा
फिर भी पाबोसी नहीं जाती

चोट खाने फिर चला आया
क्या करूँ, यारी नहीं जाती

दो घडी क्या मिल गयी आँखें
अब ये रुसवाई नहीं जाती

दिल ये कहता है यकीं कर ले
बदगुमानी भी नहीं जाती

अंगबीं क्या चीज है, मै भी
लबतलब से पी नहीं जाती

आदमी के दफ़्न होने तक
राहपैमाई नहीं जाती


१) पाबोसी: पायाचे चुंबन घेणे, पूजणे
२) बदगुमानी: गैरसमज
३) अंगबीं: मध
४) मै: मद्य
५) लब: ओठ       तलब: याचना, मागणी
६) राहपैमाई: यात्रा, सफर

1 टिप्पणी:

नीरज गोस्वामी ने कहा…

जो समझते हैं, समझते हैं
बात समझायी नहीं जाती

Waah....Waah...