शनिवार, अप्रैल 23, 2011

जागते हैं पासबाँ, दो दिल मिला कैसे करें

जागते हैं पासबाँ, दो दिल मिला कैसे करें 

है तमन्ना वस्लकी पर हौसला कैसे करें



क्या सही है, क्या गलत यह फैसला कैसे करें


बीच है शर्मोहया, कम फासला कैसे करें



यह हमारी खुशनसीबी है के वह आते नहीं


वरना हम वादाखिलाफ़ी का गिला कैसे करें


 

फिर वही बू-ए-वतन, फिरसे वही नाशादियाँ 

ऐ सबा, परदेसमें हम घोसला कैसे करें



हर सहर आकर हमें यूँ लूटना अच्छा नहीं


ऐ 'भँवर', इस हालमें गुंचे खिला कैसे करें

4 टिप्‍पणियां:

नीरज गोस्वामी ने कहा…

फिर वही बू-ए-वतन, फिरसे वही नाशादियाँ
ऐ सबा, परदेसमें हम घोसला कैसे करें

वाह...वाह...वाह...लाजवाब अशआरों से सजी इस बेहतरीन ग़ज़ल के लिए दिली दाद कबूल करें.

नीरज

mai... ratnakar ने कहा…

beautiful

mai... ratnakar ने कहा…

behad khoob
badhai

mai... ratnakar ने कहा…

bahut khoob..... anand aa gaya