शनिवार, जनवरी 07, 2012

अभी तो कुछ नहीं सीखा, अभी तो कुछ नहीं जाना

अभी तो कुछ नहीं सीखा, अभी तो कुछ नहीं जाना
ज़रा कमसिन है, डरता है, अभी जलनेसे परवाना

कभी वह खिलखिलाते हैं, कभी, बस, मुस्कराते हैं
अभी बाकी है कुछ बचपन, अभी ताज़ा है शरमाना

मुहब्बत क्या बला है यह, उन्हें कोई बता देना
अभी आलम जवानी का, नया है, दर्द अनजाना

सुराही-साग़रो-मीना कोई माने नहीं रखतें
अगर मेहफ़िल नहीं झूमी, अगर छलका न पैमाना

नशीली हो ग़ज़ल कोई, ज़रा लय भी हो मस्ताना
सुराही आप की गर्दन, हमारे कान रिंदाना

मुहब्बत के समंदर से, 'भँवर' से वह न वाक़िफ़ थे
यकायक आँधियाँ चलने लगी दिल में तो पहचाना

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